Vastu Tipts to Celebrate Deepawali

Vastu Tipts to Celebrate Deepawali

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दीपावली प्रकाश का पर्व है। लेकिन हमने तो अपने घर में प्राकृतिक रोशनी और शुद्ध वायु के आने के सारे रास्ते ही बंद कर दिए हैं। हम कृत्रिम रोशनी ओर हवा मेंजीन के आदी होते जा रहे हैं। कोरोना ने हमें प्रकृति की ओर लौटने का संदेश भी दिया है। क्या इस दीपावली पर आप प्राकृतिक रोशनी ओर ताजी हवा के घर में प्रवेश के लिए कुछ करना चाहती हैं?
कार्तिक मास की अमावस्या के  दिन जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने अमावस्या की काली रात को घी के दीपक जलाकर  पूर्णिमा की रात में बदल दिया था। इससे जाहिर है कि दीपावली रोशनी का त्योहार है, धुएं का नहीं। यह संगीत और उत्सव का पर्व है, शोर का नहीं। इसलिए दिवाली  पर घी व तेल के दीये जलाना और रोशनी  करना जीवन में शुभता को बढ़ाता है। लेकिन आजकल हम घर को प्रकाशमय और हवादार बनाने पर ध्यान नहीं देते हैं। हाल ही में भारतीय विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र के एक शोध में यह बात सामने आई है कि उन घरों में कोरोना जैसे वायरस के भी जीवित रहने की संभावना सबसे कम होती है, जो ज्यादा हवादार और प्राकृतिक रोशनी से भरे होते है। शोधकर्ताओं के अनुसार, घरों के डिजाइन के लिये हवा और प्राकृतिक रोशनी के मापदंड बनाए जाने चाहिए। मसलन, साल के सबसे कम रोशनी वाले दिनों यानी सर्दियों में घर के कमरे में कम से कम दो घंटे सूरज की रोशनी पहुंचे। घरों को ज्यादा से ज्यादा हवादार होना चाहिए, ताकि कमरे के अंदर मौजूद हवा की बदली हो सके ताजा हवा प्रवेश कर सके। साथ ही घर के अंदर पौधे लगाए जाएं, ताकि हरियाली का अहसास हो।
सेंट्रल मिशिगन विश्वविद्यालय ने भी भारत और अमेरिका के 444 कर्मचारियों पर एक अध्ययन में पाया था कि जो लोग ज्यादा प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, वे काम के प्रति अधिक गंभीर और सकारात्मक होते हैं। साथ ही घर और दफ्तर का वातावरण हवादार और रोशनी भरा होने मानसिक थकावट महसूस नहीं होती है। वास्तु के अनुसार सही तरीके से किए गए डेकरेशन का शरीर और मन पर सकारात्मक असर पड़ता है। घर का आदर्श वास्तु भाग्य को कुछ हद तक बदल सकता है। घर में कई लोग अलग-अलग उद्देश्यों और आकांक्षाओं को लेकर एक साथ निवास करते हैं। ऋग्वेद में एक बड़ा रोचक प्रसंग आता है कि किस प्रकार एक परिवार के सदस्य अपनी-अपनी अभिरुचि के अनुसार विभिन्न कार्यों मैं सलग्न थे
कारूरहं ततोभिषग् उपलप्रभिक्षणी नना।
नानाभियो वसूयवोडनु गा इव तभथिम।।
यानी ‘मैं एक कलव हूं। मेरे पिता एक चिकित्सक है, जबिक मेरी मां रोटी बनाने के लिए अनाज पिसती हैं। हमारे काम अलग है लकिन हम एक साथ रहते है। हम धन कमाने के लिए विभिन्न कार्य करते है। जाहिर है एक ही परिवार मैं रहने वाले सदस्य जीवन की विभिन्न अवस्थाओं और उद्द्शेयों वाले होते है। एक पिता अपने व्‍यापार पर ध्यान देता है, एक गृहणी घर के सदस्यों के देखभाल के लिए चिंतित और प्रयासरत रहती है, विवाह योग्य कन्याएं, पड़ने वाले बच्चे व्यापर और नौकरी चाहने वाले युवा तथा सेहत को लेकर सजग व चिंतित बुजुर्ग - सभी एक छत के निचे एक साथ निवास करते है। घर एक ऐसी जगह है, जहां कई तरह की गतिविधियां, जैसे- स्वास्थ्य, धन, शिक्षा, विवाह, मनोरंजन, पूजा, आराम, पशुपालन, और बागवानी आदि सभी कार्यों को समान महत्व दिया जाता है। इसीलिए घर की योजना बहुत सोच समझ कर तैयार करनी चाहिए, ताकि घर वास्तु शास्त्र के अनुसार सुन्दर, आरामदायक, और सुखों को प्रदान करने वाला बने।
वास्तु शास्त्र में शौचालय को घर से यानी मुख्य आवास स्थल से दूर बनाने का ही निर्देश दिया गया है। साथ ही घर के चारो तरफ और मध्य भाग में खुला स्थान छोड़ना शुभ माना गया है। घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा का समुचित प्रवाह स्वस्थ जीवन के लिए अति आवश्यक है। लेकिन अब घरों, खासकर शहरी मकानों से आंगन और चबूतरे गायब हो गए हैं, जो प्रकाश के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक िलन के केंद्र होते थे। कमरे इतने छोटे हो गए हैं, जिनमें प्राकृतक रोशनी का पहुंचना बहुत मुश्किल है। जिन कमरों में खिड़कियां होती हैं, वहां भी लोग परदे डालकर प्राकृतिक रोशनी को नहीं आने देते। इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। जिस तरह लोगों में बीमारियां बढ़ रही हैं, उसका सीधा संबंध उनकी जीवन-शैली से है। उनके खान-पान, उनका वातावरण और यहां तक कि उनके घरों का डिजाइन भी सीधे-सीधे उनके स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की डिजाइन इस तरह करनी चाहिए कि कृत्रिम रोशनी, कृत्रिम हवा के बजाय हम प्राकृतिक रोशनी और हवा का आनंद ले सकें। दीपावली प्रकाश का पर्व है,इसलिए इस दीपावली हमें इसका सही मतलब प्राप्ति के नियम समझने की आवश्यकता है, ताकि हम जीवन में स्वास्थ्य की दृष्टि से और आर्थिक तथा सामाजिक रूप से प्रकाश ला सकें | वास्तु शास्त्र के अनुसार, जहां तक संभव हो, घर ऐसा बनना चाहिए कि प्रत्येक कक्ष अपनी ऊर्जा को जागृत करे। रसोई घर में बना भोजन सुपाच्य हो, स्वादिष्ट हो, पारिवारिक कक्ष में वाद-विवाद न हो। शयन कक्ष में अच्छी निद्रा का आनंद मिले और चहुंमुखी सफलता प्राप्त हो। ये सब तभी संभव है, जब घर में पंचतत्वों  (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का संतुलन हो और इसके लिए घर के सभी सदस्यों को हवा और प्राकृतिक रौशनी पर्याप्त मात्रा मैं उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए वास्तु के अनुसार घर को ऐसे डिज़ाइन करना चाहिए की उसमें प्राकृतिक रोशनी का प्रवाह और शुद्ध वायु के रूप में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हमेशा होते रहे।


  • जंहा तक संभव हो, घर के चारो तरफ थोड़ा खुला सतह अवश्य रखें|
  • आधुनिक घरों में मुख्य द्धार और खिड़कियां प्रकाश और हवा के मुख्य श्रोत है| इन्हें साफ सुथरा, सुन्दर और आकर्षक बनाए रखें| बाहरी दीवारों मैं बनी खिड़कियाँ - दरवाजे हमारी निजी और बाहरी दुनिया के बीच कड़ी के सामान है, जो सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहने मैं सहयोग करते है|
  • घर की चारों दिशाओं मैं बाहरी दीवारों पैर बनी खिड़की दरवाजों का उपयोग करने में ऋतुओं यानि मौसम का ध्यान अवश्य रखें| सर्दियों में दक्षिणी द्धार पे बनी खिड़कियां और गर्मियों में उत्तरी दीवार पर बनी खिड़कियां घर में सकारात्मक ऊर्जा का संतुलन बनाये रखती है|
  • घर के अंदर खुली जगहों से पर्याप्त मात्रा में सौर किरणें प्रवेश करती है| इसलिए आधुनिक घरों और बहुमंजिला भवनों में दीवारों या छतों से हुक आदि का उपयोग कर पौधे लटकाए जा सकते है| कृत्रिम रूप से तैयार यह प्रकृति बाहरी क्षेत्र की प्रतिनिधि है, जो आपके चेतन और अवचेतन मन को प्रकृति से जोड़ने मैं सहायक होती है |घरों में  कांटैदार और दूध निकालने वाले पौधे न लगाएं।
  • यदि आप चाहती है की आपका घर अन्न और धान्य से भरा रहे तो इस दीपावली पर गरीबों में मिठाईयां वितरित करें | शनि देव कभी आपसे गुस्सा नहीं होंगे|
  • घर के अतिथि कक्ष यानी ड्रॉइंग रूम में गुरु की या आराध्य देव की तस्वीर अवश्य लगाएं। वास्तु मेँ गुरु और बुद्ध का यह संयोग आपको सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करेगा।

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